Saturday, December 13, 2014

रूप पाहता लोचनी

रूप पाहतां लोचनीं ।
सुख जालें वो साजणी ॥
तो हा विठ्ठल बरवा ।
तो हा माधव बरवा ॥
बहुतां सुकृतांची जोडी ।
म्हणुनि विठ्ठलीं आवडी ॥
सर्व सुखाचें आगर ।
बाप रखुमादेवीवरू ॥
वचन ऐका कमलापती।
माझी रंकाची विनंती॥
कर जोडितो कथेकाळी।
आपण आसवे जवळी॥

Wednesday, August 27, 2014

Suno Draupadi Shastra Uthalo ... Great Poem By PushyaMitra Upadyay

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे
छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे ||1||


कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे ||2||


कल तक केवल अँधा राजा,अब गूंगा बहरा भी है
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?


सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे||3||